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Monday 25 July 2016

तुम ही बता दो

अब तुम ही बता दो मुझे 
मेरी खामियाँ



मैं तो अरसे से ढूँढ रहा हूँ,
तेरी नज़र लिये....

Tuesday 19 July 2016

इक बात

बारिशों में चलने से इक बात याद आती है

फिसलने के ख़ौफ से वो हाथ थाम लेता था..!

Sunday 22 May 2016

धूम मचा दी जाए..

सी के लब इक क़यामत सी उठा दी जाए

रह के खामोश ज़रा धूम मचा दी जाए..

Friday 20 May 2016

तेरी आँखों के लिए..

झील अच्छा, कँवल अच्छा के जाम अच्छा है

तेरी आँखों के लिए कौनसा नाम अच्छा है..?











Thursday 12 May 2016

अगर रातों में जागने से..

अगर रातों में जागने से होती ग़मों में कमी

तो मेरे दामन में खुशियों के सिवा कुछ भी न होता..

Tuesday 10 May 2016

क्या कशिश थी..

क्या कशिश थी उसकी आँखों में

मत पूछो

मुझसे मेरा दिल लड़ पड़ा मुझे वो शख्स चाहिए।

ख़ामोशी तेरी..

लोग शोर से जाग उठते हैं

मुझे सोने नहीं देती...ख़ामोशी तेरी।

Monday 9 May 2016

शाम खामोश है..

शाम खामोश है पेड़ों पे उजाला कम है

लौट आये हैं सभी एक परिंदा कम है..

बड़े सीधे-साधे..

बड़े सीधे-साधे बड़े भोले-भाले

कोई देखे इस वक़्त चेहरा तुम्हारा।

खुदा जाने वो..

बंद होंठ, बिखरी जुल्फें, ग़जब की अंगड़ाई

खुदा जाने वो कैसे बिस्तर छोड़ती होगी।।

मशहूर किया है..

कितनी आसानी से मशहूर किया है खुद को

मैं ने अपने से बड़े शख्स को गाली दी है..

कहो सुनो कुछ..

आँखें यूँही भीग गई क्या देख रहे हो आँखों में

बैठो साहब कहो सुनो कुछ, मिले हो कितने साल के बाद..

Friday 6 May 2016

मज़बूत रहते रहते..

कुछ लोग जब रोते हैं तो इस लिए नहीं के वो कमज़ोर होते हैं

बल्कि इसलिए रोते हैं के मज़बूत रहते रहते थक जाते हैं..

Wednesday 4 May 2016

दीवाना उसने कर दिया..

दीवाना उसने कर दिया एक बार देख कर

हम कर सके न कुछ भी लगातार देख कर..

Monday 2 May 2016

लगा कर फूल होंठों से..

लगा कर फूल होंठों से कहा उसने ये चुपके से

अगर कोई पास न होता तो तुम इसकी जगह होते।।

ईश्क़ का दस्तूर ही ऐसा है..

ईश्क़ का दस्तूर ही ऐसा है

जो उसको जान लेता है
ये उसकी जान लेता है..

एक शख्स है..

हज़ारों ऐब हैं मुझ में मुझे मालूम है मगर

एक शख्स है नादान मुझे अनमोल कहता है..

तेरी सूरत को..

तेरी सूरत को देखने वाले

सुना है! कोई और नशा नहीं करते।।

न जाने वो नींद के नशे में..

न जाने वो नींद के नशे में इतना कैसे डूब जाती है

हम तो करवट भी बदलते हैं तो उसकी याद आती है..

तेरी सूरत से है..

तेरी सूरत से है आलम में बहारों को शबाब

तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है.?